यदि यूट्यूबर बने तो करना पड़ेगा सुसाइड? : एक गहरा सवाल और उसका जवाब
यदि यूट्यूबर बने तो करना पड़ेगा सुसाइड?
"यूट्यूबर बनना है? तो आत्महत्या के लिए तैयार रहो।" यह वाक्य सुनने में जितना चौंकाने वाला लगता है, उतना ही डरावना भी। सोशल मीडिया के इस दौर में, खासकर युवाओं के बीच यूट्यूबर बनने का सपना एक आम बात हो गई है। लाखों सब्सक्राइबर, विदेशों की सैर, बड़े-बड़े ब्रांड डील्स और शोहरत की चकाचौंध देखकर हर कोई इस रेस में कूदना चाहता है। लेकिन क्या इस चकाचौंध के पीछे का सच इतना कड़वा है कि इंसान को आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़े?
इस सवाल का जवाब एक शब्द में है: बिल्कुल नहीं। यूट्यूबर बनने का मतलब आत्महत्या करना बिल्कुल नहीं है। लेकिन, यह सच है कि इस पेशे के साथ जुड़ी कुछ ऐसी मानसिक चुनौतियाँ हैं, जिन्हें अगर नजरअंदाज किया गया, तो वे इंसान को मानसिक रूप से बीमार और निराश कर सकती हैं। आइए, इन पहलुओं को समझते हैं।
वह कौन सा दबाव है जो यूट्यूबर को घेर लेता है?
1. सफलता का दबाव और तुलना: एक बार चैनल बनाने के बाद सबसे पहला दबाव सफलता का आता है। दूसरे यूट्यूबर्स को देखकर लगता है कि "मैं पीछे रह गया हूँ।" Views, Likes, Subscribers का नंबर एक रेस बन जाता है। हर वीडियो के बाद यह सोचना कि "क्या यह वायरल होगा?" एक अलग तनाव पैदा करता है। नंबर न बढ़ने पर खुद पर और अपनी काबिलियत पर शक होने लगता है।
2. ट्रोल्स और नफरत भरे कमेंट्स: इंटरनेट की दुनिया बहुत निर्मम है। आपको कोई भी बिना वजह गाली दे सकता है, आपके रंग-रूप, बोलने के तरीके पर टिप्पणी कर सकता है। शुरुआत में तो ये नेगेटिव कमेंट्स बहुत ज्यादा आते हैं। इन्हें लगातार पढ़ना और उन्हें दिल पर लेना किसी भी इंसान के आत्मविश्वास को तोड़ सकता है।
3. एल्गोरिदम का दबाव: यूट्यूब का एल्गोरिदम एक रहस्यमयी शक्ति की तरह है। आज एक वीडियो चल जाता है, तो कल दूसरा फ्लॉप हो जाता है। इसकी कोई गारंटी नहीं होती। इस अनिश्चितता में काम करना बहुत मुश्किल है। क्रिएटर हमेशा यह सोचने को मजबूर हो जाता है कि "क्या यह कंटेंट एल्गोरिदम को पसंद आएगा?" इससे क्रिएटिविटी खत्म होने लगती है और एक मशीन बनकर रह जाने का डर पैदा होता है।
4. बर्नआउट (जलन): लगातार नया कंटेंट बनाने की होड़, डेडलाइन का दबाव और दर्शकों को एंगेज रखने की जद्दोजहद इंसान को पूरी तरह से थका देती है। इसे 'बर्नआउट' कहते हैं। ऐसा लगने लगता है कि दिमाग की बैटरी पूरी तरह से खत्म हो गई है। नई आइडिया नहीं आती, काम से मन उचट जाता है और निराशा घर करने लगती है।
5. व्यक्तिगत जीवन का खत्म होना: ज्यादातर बड़े यूट्यूबर्स की शिकायत होती है कि उनका पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ का बैलेंस बिगड़ गया है। हर पल कैमरे के सामने जीना, अपनी निजता खोना, और हमेशा 'ऑन' रहने का दबाव मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।
फिर, क्या समाधान है? कैसे बचें इस नकारात्मकता से?
यह समझना जरूरी है कि यूट्यूबर बनना कोई जीवन-मरण का सवाल नहीं है। यह सिर्फ एक प्लेटफॉर्म है, जिंदगी नहीं। इन चुनौतियों से बचाव के लिए कुछ जरूरी बातें:
1. यूट्यूब को "प्लेटफॉर्म" समझें, "जिंदगी" नहीं: आपका चैनल और आपके वीडियो आपकी पहचान नहीं हैं। वे सिर्फ आपके काम का एक हिस्सा हैं। सब्सक्राइबर कम हो या ज्यादा, वीडियो वायरल हो या न हो, आपका अपना मूल्य उससे कहीं ज्यादा है।
2. नेगेटिविटी को इग्नोर करना सीखें: इंटरनेट पर हर किसी को खुश रख पाना नामुमकिन है। ट्रोल्स का मकसद सिर्फ दूसरों को नीचा दिखाना होता है। उनकी बातों को दिल पर लेने के बजाय उन्हें ignore करना सीखें। कमेंट्स से दूरी बनाना भी एक healthy habit है।
3. ब्रेक लेना कोई गुनाह नहीं है: जब भी थकान या उदासी महसूस हो, बिना guilt feeling के ब्रेक लें। दर्शक समझदार हैं, वे आपके mental health की कीमत पर कंटेंट नहीं चाहते। अपने दिमाग और शरीर को आराम दें।
4. रियलिस्टिक गोल्स सेट करें: एकदम से viral होने या लाखों सब्सक्राइबर पाने का दबाव न लें। छोटे-छोटे goals बनाएं। पहले 100 सब्सक्राइबर, फिर 1000। इस छोटी सफलता से मिलने वाला संतोष बहुत जरूरी है।
5. दूसरों से बात करें: अगर आप stress महसूस कर रहे हैं, तो इसे अपने में न रखें। अपने family, friends या फिर किसी professional therapist से बात करें। दूसरे यूट्यूब क्रिएटर्स के साथ connect करें। पता चलेगा कि आप जैसा feel कर रहे हैं, वैसा ही many others भी कर रहे हैं।
6. याद रखें: जिंदगी यूट्यूब से बड़ी है: आपकी जिंदगी में आपके परिवार, दोस्त, hobbies और पढ़ाई-लिखाई जैसी और भी बहुत सी चीजें हैं। यूट्यूब को उन सबके आगे न आने दें। एक संतुलन बनाए रखें।
निष्कर्ष
यूट्यूबर बनना कोई suicide note signing नहीं है। यह एक बहुत ही अच्छा प्लेटफॉर्म है जहाँ आप अपनी creativity दिखा सकते हैं, दुनिया को कुछ सिखा सकते हैं और एक अच्छी कम्युनिटी बना सकते हैं। मुश्किल है तो बस उसके साथ आने वाली mental challenges, जिनसे अगर सही तरीके से निपटा जाए, तो यह journey बहुत ही खूबसूरत और सफल हो सकती है।
सबसे जरूरी बात: अपने mental health को सबसे ऊपर रखें। कोई भी like, view, comment या subscriber आपकी mental peace से ज्यादा कीमती नहीं है। अगर यह प्लेटफॉर्म आपको दुखी कर रहा है, तो बिना किसी डर या झिझक के पीछे हट जाएँ। दुनिया में success पाने के और भी हज़ार रास्ते हैं।
आपकी जान सबसे अनमोल है। उसे किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की कीमत पर मत लगाइए। एक खुशहाल और healthy creator ही सबसे best content बना सकता है।
--- गौतम साह



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