भोजपुरी गायकी : मिनी पॉर्न इंडस्ट्री

भोजपुरी गायकी : मिनी पॉर्न इंडस्ट्री


बीते कुछ वर्षों से भोजपुरी संगीत इंडस्ट्री का ग्राफ बहुत तेजी से ऊपर उठा है। तकरीबन 2012 या 13 में भोजपुरी संगीत के माने जाने साधक पवन सिंह का एक गाना आता हैं "लाली पॉप लागेलु" इसे केवल भारत ही नहीं बल्कि जहां-जहां भोजपुरी समझने वाले लोग हैं, हर जगह सराहा गया। इसी गाने की लोकप्रियता ने भोजपुरिया संगीत इंडस्ट्री की धारा बदल दिया। इस गाने को अगर ध्यान से सुना जाए तो मालूम होता है कि एक स्त्री के शरीर की मांशल्य बनावट का वर्णन किया गया है। 

ऐसा नहीं था कि इस प्रकार का यह पहला संगीत था। लेकिन, इस गाने की लोकप्रियता ने भोजपुरी संगीत लिखारियों को आकर्षित किया और इसकी कमाई इनकी जमीर खा गई। देखते ही देखते भोजपुरी संगीत कब मिनी पॉर्न इंडस्ट्री बन गया पता ही नहीं चला। कालांतर में गाना लिखने का ध्येय बदलने लगा। अब संगीत सभ्यता को बनाए रखने या बचाने के लिए नहीं बल्कि स्त्रियों के अंग का प्रदर्शन करने के लिए बनाया जाने लगा। इसका मकसद एक ही था। - लोकप्रिय होना!
इंटरनेट एक ऐसा माध्यम है जो लोकप्रियता का मुआवजा निर्धारित समय पर देता रहता है। इसीलिए सबका मकसद लोकप्रिय होना है। 

भोजपुरी को बिगाड़ने में केवल इन गायकों और लिखारियों की भूमिका नहीं है। बल्कि भोजपुरिया समाज इनलोगों से अधिक जिम्मेदार है। आजकल गानों का एल्बम यूट्यूब पर ही रिलीज होता है। एक तरफ पवन सिंह, खेसारी यादव, इत्यादि गायक है और दूसरी तरफ भरत शर्मा, मैथिली ठाकुर और अन्य लोकगायक है। इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रियता पहले वाले के हिस्से आती है। यदि अपलोड होने के एक घंटे बाद की समीक्षा करें तो जहां पहले वालों की वीडियो पर मिलियन तक व्यूज आते हैं, वहीं दूसरी पार्टी मुश्किल से ही हजार पार कर पाती है।

इसका सबसे बड़ा कारण है - गाने में प्रयोग किए जाने वाले दो अर्थ वाले शब्द और स्त्रियों का अंग प्रदर्शन। आपके मन में एक बात घूम गई होगी कि हिंदी और अंग्रेजी संगीत की नायिकाएं भी तो अंग प्रदर्शन करती हैं। आपको बता दूं कि भारत में हिंदी भाषी अधिकतर लोग साक्षर हैं। इसलिए वो अपनी हदें पहचानते हैं। उनको बहुत अच्छी तरह से पता है कि कहां जाकर रुक/रोक देना है।
इस देश के 95% लोगों की पहली भाषा हिंदी नहीं है। बल्कि क्षेत्रीय बोली से उनका जीवन शुरू होता है और शिक्षा के क्षेत्र में आने से हिंदी या अंग्रेजी अपनानी पड़ती है। वहीं भोजपुरी बोलने वाले पैदा होने से पैदा करने तक और शरीर छोड़ने तक भोजपुरी बोलते हैं। जब उनकी शिक्षा-दीक्षा सही ढंग से नहीं होती है तो कूपमण्डूक बन जाते हैं। और फिर अज्ञानता में इतने लिप्त हो जाते हैं कि अश्लीलता इनको बाहर नहीं निकलने देती।

अब बात करते हैं हरियाणा की भोजपुरी इंडस्ट्री छोड़ने वाली अंजली राघव और पवन सिंह की। दरअसल ये लोग लखनऊ में एक आर्केस्ट्रा शो कर रहे थे। तभी पवन सिंह ने इनके कमर के ऊपर और भुजा के नीचे वाले भाग को स्पर्श करने लगे। उसी वक्त एक इंस्टाग्राम यूजर ने रिकॉर्ड करके अपने अकाउंट पर अपलोड कर दिया। जैसे ही वीडियो वायरल हुई वैसे पवन सिंह पर अश्लीलता का आरोप लगने लगा। वहीं अंजली राघव ने भी एक वीडियो बनाकर अपनी इंस्टाग्राम आईडी पर प्रसारित किया। जिसमें वो बताती है कि जब वो स्पर्श कर रहे थे तो मुझे मालूम हो रहा था कि पीठ में कुछ लगा है। इसलिए पवन जी उसे हटा रहे हैं। मजे की बात ये है कि जब पवन सिंह इनके शरीर को स्पर्श कर रहे थे तो ये हंस रही थी। इसका सफाई देते हुवे उन्होंने बताया कि मैं जान नहीं पाई कि किस इंटेंशन से स्पर्श कर रहे हैं। मैं लोगों में अपनी बात रख कर स्टेज से जब नीचे आई और अपने साथियों से पूछा तब एहसाह हुआ। उसके बाद मुझे शर्मिंदगी हुई। लेकिन, मैं कुछ बोल नहीं पाई।

इसके बाद पूरा सोशल मीडिया स्त्री बचाओ अभियान में जुट गया। ये वही लोग है जो भोजपुरी गायकी इंडस्ट्री को करीब से नहीं देखे हैं। भोजपुरी संगीत सुनने वाले बताएं कि वो क्यों सुनते हैं। क्या इसे सुन कर मन शांत होता है या मन उथलपुथल हो जाता है, या फिर अर्जित सिंह या जगजीत सिंह के साधे गए गानों की तरह चित्त शांत हो होकर शब्दों और सुरों में बंधने लगता है? 

भोजपुरी के 95% गाने दो अर्थ वाले होते हैं। जिनका एक अर्थ सेक्स या शरीर के गोपनीय हिस्से को उजागर करने की ओर इंगित होता है।




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